साइबर अपराधियों ने ( OLX ) ओएलएक्स वेबसाइट से सेल पर्चेस को बनाया को बनाया नया हथियार ।
वर्तमान समय में ओएलएक्स को नये-पुरानेे सामान की खरीद फरोख्त के लिये जाना जाता है साइबर अपराधियों के द्वारा ओएलएक्स को ही धोखाधडी करने का बडा माध्यम बना लिया है। यह कहना अतिश्योक्ति नही होगी कि ओएलएक्स के माध्यम से अनुमानतः प्रतिदिन पूरे भारतवर्ष मे सैकडों लोगो को धोखाधडी का शिकार बनाकर लाखो रूपये की ठगी की जा रही है। धोखाधडी का शिकार बनने का सबसे बडा कारण है हमारे द्वारा अनजान व्यक्ति पर कॉल पर ही भरोसा कर लेना और उसको अपना समस्त डाटा (आईडी प्रूफ इत्यादि) वाटसएप या ईमेल के माध्यम से सेन्ड कर देना।
हमारी जरा सी असावधानी हमें धोखाधडी का शिकार बना देती है और आसानी से लाखों रूपयों से लुट जाते है।
साइबर अपराधियों का अपराध करने का तरीकाः- हमारे समाज मे फौजियों को बडी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, देखा भी क्यो न जाय क्योंकि फौजी ही अपने घर परिवार को त्यागकर देश की सीमा की रखवाली अपनी पूरी निष्ठा समर्पण त्याग व बलिदान की भावना से करता है। यही कारण है कि हम सबका फौजियों पर अटूट विश्वास है हमारे इसी विश्वास का सहारा लेकर साइबर अपराधियों के द्वारा अपने आपको फौजी बताकर अपने पुराने वाहन व अन्य सामान को बिक्री के लिये ओएलएक्स पर डाला जाता है और सामान की कीमती लुभावनी रखी जाती है। जिससे व्यक्ति आसानी से लालच के वशीभूत होकर उसे खरीदने के लिये इच्छुक हो जाता है। साइबर अपराधी के द्वारा अपनी आईडी के रूप मे फौजी की आईडी प्रेषित कर दी जाती है, इसके अतिरिक्त गाडी पर्किंग की स्लिप भेज दी जाती है। जिस पर व्यक्ति आसानी से विश्वास कर लेता हैै और साइबर अपराधी के अनुसार पेटीएम के माध्यम से पेमेन्ट कर देता है। इसके बाद साइबर अपराधी के द्वारा जीएसटी इत्यादि के नाम पर धनराशि ली जाती है। इसके बाद फिर साइबर अपराधियों का लास्ट हथियार रहता है कि जो पैसा आपने दिया है वह भी डूब जायेगा नही तो इतना और दीजिये और व्यक्ति जो रूपया गया उसे बचाने के लिये और रूपये देता रहता है।
यह जरूरी नही है कि आप खरीद रहे है तब ही फ्राड का शिकार बनेंगे अगर आप अपना वाहन बेच रहे है तब भी धोखाधडी का शिकार बन सकते हैं। बेचने के प्रकरण मे साइबर अपराधी आपको एमाउण्ट देने के नाम पर आपके बैक का खाता संख्या व आईएफएससी कोड प्राप्त कर खाता वैरीफिकेशन के नाम पर आपसे ओटीपी या यूपीआई नम्बर ले लेगा और आपके बैंक खाता से धनराशि आहरित हो जायेगी और आप जब भी नही चेते तो उस ली गयी धनराशि को रिफण्ड करने के नाम पर आपसे पुनः ओटीपी या यूपीआई नम्बर लेगा और आपके बैक खाता से पुनः धनराशि आहरित हो जायेगी।
ओएलएक्स फ्राड का केन्द्र बिन्दुः- प्राप्त शिकायतों के अनुसार इस समय ओएलएक्स फ्राड का केन्द्र बिन्दु जयपुर, भरतपुर और अलवर बन रहा है। इस राजस्थान ओएलएक्स फ्राड के मामले मे विशाल नेटवर्क के रूप मे उभरकर आ रहा है। यह नेटवर्क इतनी तेजी से क्यो फल फूल रहा है इसके सम्बन्ध में अभी कुछ कहा नही जा सकता है।
ओएलएक्स पर खरीदारी करते समय बरती जाने वाली सावधानीः-
1-ओएलएक्स पर खरीदारी करते समय सेलर / क्रेता व विस्तृत विवरण(आधार, पेनकार्ड, फोटो, बैक पास बुक के प्रथम पृष्ठ की छायाप्रति जिस पर फोटो चिपका हुआ हो, इत्यादि) प्राप्त करें।
2-सामान की पेमेन्ट देने मे जल्दबाजी न करे और पेमेन्ट बैक खाता में करेें और यह भी सुनिश्चित करे जो आईडी प्रूफ आपको दिये गये बैक खाता उसी के नाम पर हो।
3-वाटसएप कॉल के बजाय वॉयस कॉल का प्रयोग करें और वाटसएप कॉल पर वीडियो कॉल के माध्यम से फोटो आईडी का मिलान कर सकते है।
4-सामान से सम्बन्धित बिल अवश्य प्राप्त करें, बिल को देखकर यह सुनिश्चित करें कि कही ऐसा तो नही है कि बिल किसी और व्यक्ति के नाम पर हो।
नोटः- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आज के दौर मे आपको नये प्रोडक्ट का बिल भी मिल जायेगा परन्तु इससे उस प्रोडक्ट के मालिक की विश्वसनीयत प्रमाणित नही हो सकती है। कारण निम्नलिखित है¬
आजकल साइबर अपराधियों के द्वारा लोगो के साथ धोखाधडी करके ऑनलाइन प्रोडक्ट खरीद लिये जाते है जिनकी डिलवरी होने पर उनका बिल भी होता है परन्तु अपराधी उस सामान को स्वयं यूज न करके मय बिल के बेच देते है जबकि वह सामान धोखाधडी से खरीदा हुआ होता है यही कारण है कि आप नये प्रोडक्ट को मय बिल के दुकानदार से ही खरीदना उचित होगा। और बिल पर दुकानदार की स्टाम्प जरूर लगवायेें।
ओएलएक्स से खरीदारी करते समय सावधानी बरतें जरा सी असावधानी आपको धोखाधडी का शिकार बना सकती है और आपकी खून पसीने की कमाई क्षणभर मे बर्बाद हो सकती है।
इंदौर की संस्था साइबर वेलफेयर सोसइटी द्वारा निरंतर ऑनलाइन साइबर जागरूकता अभियान चला के लोगो को जागरूक किया जाता है । लोगो को ऐसे अपराधियों से सतर्क रहने की अपील करती है संस्था ।
Advisor Shakeel Anjum featured in many newspaper where he shared his views on “ cyber crime law and security ”
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